
"दानु पराण" एक गढ़वाली कविता है । जिसमें पहाड़ के बूढ़े लोगों की व्यथा का वर्णन है । इस कविता को अपनी लेखनी से सृजित किया है अरुण किशोर भट्ट "भरदारी" जी ने । अरुण जी हिंदी, संस्कृत और गढ़वाली में काव्य लिखते हैं । कविता में आवाज भी अरुण जी की ही है । उत्तराखंडी विरासत चैनल अरुण जी का धन्यवाद देता है जिन्होंने हमें अपनी कविता दी ।
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