
शिक्षिका का मतलब केवल किताबों का ज्ञान देना नहीं होता, कभी-कभी वह मां की तरह अपने बच्चों की जान की हिफाजत भी करती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया बांग्लादेश की एक बहादुर शिक्षिका माहिरीन चौधरी ने, जिन्होंने अपनी जान देकर अपने छात्रों की ज़िंदगी बचा ली।
यह घटना उस समय की है जब एक फाइटर जेट अचानक तकनीकी खराबी के कारण नियंत्रण खो बैठा और स्कूल भवन से टकरा गया। विमान स्कूल से टकराने ही वाला था कि ज़ोरदार धमाका हुआ और स्कूल के एक हिस्से में आग लग गई। उस समय ज्यादातर बच्चे स्कूल के बाहर छुट्टी के समय के लिए लाइन में लगे थे, लेकिन कुछ बच्चे क्लासरूम में ही फंसे रह गए।
माहिरीन चौधरी, जो उस समय स्कूल में ड्यूटी पर थीं, आग और धुएं से भरे भवन में बिना कुछ सोचे-समझे दौड़ पड़ीं। एक-एक बच्चे को बाहर निकालते हुए वह खुद भी बुरी तरह झुलस गईं। उन्होंने बच्चों को बाहर धकेला, रोते बच्चों को हिम्मत दी, और जब तक आखिरी बच्चा बाहर नहीं आया, वो पीछे नहीं हटीं।
लेकिन बच्चों को बचाते-बचाते माहिरीन खुद ज़ख्मी हो गईं और कुछ ही देर में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। माहिरीन चौधरी ने जिस साहस और ममता का परिचय दिया, वह एक मां के प्रेम से कम नहीं था। आज पूरा बांग्लादेश उन्हें केवल एक शिक्षिका के रूप में नहीं, बल्कि "मां समान वीरांगना" के रूप में याद करता है।
उनके छात्रों और परिजनों ने मिलकर उनके सम्मान में स्कूल परिसर में एक स्मारक भी बनवाया, ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें न भूलें।
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