
यह कहानी एक लोककथा या मान्यता पर आधारित है जो राजस्थान के किसी विशेष मंदिर से जुड़ी हो सकती है। इस कहानी में, एक ज़हरीला सांप हर साल नाग पंचमी के दिन एक मंदिर में आता है और शिवलिंग पर जलाभिषेक करता है। यह घटना बिना किसी डर या हमले के होती है, और लोग इसे भगवान शिव का ही एक रूप मानते हैं।
इस कहानी में, "श्रद्धा" (भक्ति) और "डर" (भय) के बीच का संबंध बताया गया है। यह दर्शाता है कि जब किसी व्यक्ति में सच्ची श्रद्धा होती है, तो उसे किसी भी चीज़ से डर नहीं लगता, खासकर जब वह भगवान से जुड़ा हो।
यह कहानी एक प्रेरणादायक संदेश देती है कि यदि हम सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ किसी भी कार्य को करते हैं, तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।
यह कहानी राजस्थान के किसी विशेष मंदिर से जुड़ी हो सकती है, जहाँ इस तरह की घटना होती है।